ब्लॉग प्रसारण पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!!!

ब्लॉग प्रसारण का उद्देश्य पाठकों तक विभिन्न प्रकार की रचनाएँ पहुँचाना एवं रचनाकारों से परिचय करवाना है. किसी प्रकार की समस्या एवं सुझाव के लिए इस पते पर लिखें. blogprasaran@gmail.com

मित्र - मंडली

पृष्ठ

ब्लॉग प्रसारण परिवार में आप सभी का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन


Sunday, September 22, 2013

गौरव या हीनता??

"जय माता दी" रु की ओर से आप सबको सादर प्रणाम . ब्लॉग प्रसारण में आप सभी का हार्दिक स्वागत करते हुए आइये चलते हैं चुने हुए सूत्रों के ओर.

Vandana Tiwari
सादर वन्दे सुहृद मित्रों... हिन्दी दिवस...हिन्दी पखवाड़ा...फिर धीरे धीरे जोश टांय टांय फिस्स! शुभप्रभात,शुभरात्रि,शुभदिन सभी को good morning,good night & good day दबाने लगे। आज बच्चों के लिए (क्योंकि बच्चे हिन्दी के शब्दों से परिचित नहीं या फिर उनका अंग्रेजी शब्दकोष बढाने के लिए) बेचारे बुजुर्गों और शुद्ध हिंदीभाषी लोगों को भी अंग्रेजी बोलने के लिए अपनी जिव्हा को अप्रत्याशित ढंग से तोड़ना मरोड़ना पड़ता ही है। उन्हें गांधी जी का वक्तव्य कौन स्मरण कराए जो कहा करते थे


Rajendra Sharma
बारिश बूंदे बरस रही ,बरस रहा है नेह
पायलिया सी खनक रही, रूपवती की देह
रूप सलौनी चंद्रमुखी ,अंधियारी है रात
अंधियारे में बहक रहे ,तन मन और जज्बात
मन में क्यों कलेश रहा ,क्यों कलुषित है चित है
नारायण साथ तेरे ,मत हो तू विचलित
नदिया निर्झर बह रहे ,निर्मल बारिश जल
आसमान भी स्वच्छ हुआ ,स्वच्छ हुए जल थल


कुमार गौरव अजीतेन्दु
धर्म के विरुद्ध नित्य षडयंत्र हो रहे हैं, पुष्प राष्ट्रवाद का भी आज कुम्हला रहा।
आसुरी प्रवृत्तियों से त्राहि-त्राहि साधुता है, एक अँधियारा मानो गगन में छा रहा।
दुःख की तो बात है कि सबकुछ देख के भी, तरुणों के रक्त में उबाल नहीं आ रहा।
किसकी नजर लगी भारत की वीरता को, शूकरों का झुंड खड़ा शेर को चिढ़ा रहा॥


Sushil Kumar Joshi
अलग अलग जगहें
अलग अलग आदमी
कई किताबों में
कई जगह लिखी
हुई कुछ इबारतें
समय के साथ
बदलते हुऐ उनके मायने
मरती हुई एक लड़की


Rekha Joshi
छू लें आसमान को कभी यह तमन्ना रखते है
गम मिलें याँ खुशियाँ हर हाल में खुश रहते है
न कोई शिकवा न शिकायत है अब जिंदगी से
संग हवा के चलने पर ऊँचाइयों सा मजा लेते है


सरिता भाटिया
मिलन के साथ हे प्रभु कैसी यह जुदाई
दिल है अपना पर प्रीत है क्यों पराई
मिलन जुदाई की क्यों रीत यह बनाई
मुश्किल है देना किसी अपने को विदाई


उपासना सियाग
करती हूँ आज
आव्हान !
तैतीस करोड़ देवी -देवताओं का ,
हे देवी -देवता
सुनो मेरी आर्त पुकार
हूँ मैं बेबस लाचार

इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये मिलते हैं मंगलवार को आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ. शुभ विदा शुभ दिन, स्वस्थ रहें मस्त रहें खुशियों में व्यस्त रहें.

11 comments:

  1. आद्रणीय अरुन जी सुंदर रचना।


    सादर।


    ReplyDelete
    Replies
    1. सुंदर प्रसारण...


      उजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज 2 रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।



      आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
      हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
      इस के लिये आप को मात्रkuldeepsingpinku@gmail.com पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।



      मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]

      Delete

  2. प्रसारण लिंक्स शानदार हैं |
    आशा

    ReplyDelete
  3. सुन्दर सूत्रों से संकलित पठनीय सूत्र से सजा ब्लॉग प्रसारण हेतु हार्दिक आभार.

    ReplyDelete
  4. सुंदर सूत्र संकलन
    उल्लूक का आभार !

    ReplyDelete
  5. मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार प्रिय मित्र अरुन शर्मा जी।

    ReplyDelete
  6. छोटा पर सुन्दर प्रसारण.

    ReplyDelete
    Replies
    1. naye blogs ko mauka dene ke liye aabhar, aapke prayatno se hindi blog aur sashakt hoga, thanks neeraj ji

      Delete
  7. शानदार लिंक्स|मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार

    ReplyDelete
  8. बढ़िया चर्चा-
    आभार

    ReplyDelete